सदभावना और समता

हिन्दुस्तान लिखो
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पता फिलहाल का लिखना है तो जहान लिखो।
मेरा स्थायी पता नीला आसमान लिखो।
जात लिखना है जरूरी तो आदमी लिख लो,
धर्म के नाम पर इन्सानियत ईमान लिखो।
हूँ कलमकार मगर अब तो यही ख्वाहिश है,
मुझको इस देश का मजदूर या किसान लिखो।
बुरा न मानो तो इस दिल की ये गुजारिश है,
जहाँ भी नाम लिखो मेरा हिन्दुस्तान लिखो।
अगर अरमान भी लिखने की इजाजत हो तो,
यहाँ मिल्लत रहे कायम यही अरमान लिखो।
सभी का मरना सुनिश्चित तो खौफ डर छोड़ो,
आज ही जुल्म से संघर्ष का एलान लिखो।
भूख से सबको बचाना है तो करो हिम्मत,
देश का तीर्थ बड़ा आज से खलिहान लिखो।
चाँद सूरज तलक जाने को यह जरूरी है,
तजके पाखंड शीर्ष तर्क भरा ज्ञान लिखो।
सिर्फ मेरी नहीं इस देश की जरूरत है,
सूर के साथ ही साहित्य में रसखान लिखो।
-धीरेन्द्र नाथ श्रीवास्तव संरक्षक मानव सेवा समिति सिखड़ी गाज़ीपुर (U.P.)

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