International Language Day

*श्रवण बाधित दिव्यांग सशक्तिकरण प्रयास***

विभिन्न क्षेत्रों में ज्ञान की मात्रा तेजी के साथ बढ़ रही है तथा तकनीक की गुणवत्ता एवं उपकरणों में तीव्र परिवर्तन हो रहा है। किसी भी समाज के विकसित होने का आधार तत्व समाज में उनकी वर्तमान स्थिति से पता चलता है। श्रवण बाधित दिव्यांग बच्चों को राजनीतिक आर्थिक और सामाजिक तौर पर मुख्यधारा से जोड़ने के प्रयास पर विचार करने की आवश्यकता है। श्रवण बाधित दिव्यांग बच्चों के लिए भाषा विकास प्रक्रिया अवरोध बनती है। श्रवण बाधित बच्चे (यदि शीघ्र व उचित हस्तक्षेप न किया गया हो) तो भाषा के लिखित व ग्रहण करने में कठिनाई या कमी महसूस करते हैं। इसके कारण उन्हें शिक्षा में समस्या हो सकती है। कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाले पैनल की नई शिक्षा नीति 2020 के अनुसार भारतीय सांकेतिक भाषा के देशभर में मानकीकृत किया जाना था और श्रवण बाधित विद्यार्थियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय पाठ्य सामग्री विकसित करने की बात कही गई थी। परंतु सरकार द्वारा श्रवण बाधित दिव्यांगों के लिए इस नीति में उल्लेखित बिंदु आज आभासी प्रतीत हो रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस पर केवल संतुष्टि मात्र शपथ प्रमाण पत्र वितरित किया जा रहा है। 23 सितंबर के दिन सरकार द्वारा श्रवण बाधित विद्यार्थियों के लिए मोबाइल के जरिए शिक्षा को सुगम बनाने के लिए भारतीय सांकेतिक भाषा के शब्दकोश, भारतीय सांकेतिक भाषा में एनसीआरटी की कक्षा 6 की ई सामग्री एवं श्रवण बाधित विद्यार्थियों में देश प्रेम की भावना को प्रगाढ़ करने के लिए भारतीय सांकेतिक भाषा में एनबीटी वीरगाथा श्रृंखला की ई बुक का लोकार्पण का लालीपाप दिया गया। परंतु श्रवण दिव्यांग जनों समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए बच्चों के लिए उचित शिक्षण प्रबंधन किया जाए एवं वास्तविक रुप से जमीनी स्तर सशक्त भाषाई नींव विकसित करने का प्रयास किया जाये। जिससे उनकी स्कूली प्रक्रिया सुगमता से कार्यान्वित हो।
आज भी श्रवण बाधित बच्चों को विशेष शैक्षिक आवश्यकता के अनुरूप पाठ्यक्रम में अनुकूलन की आवश्यकता है। सरकार द्वारा शिक्षक छात्र अनुपात विशेष विद्यालयों में समुचित संसाधन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
23 सितंबर को दुनिया भर में हर साल अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस मनाया जाता है। यह दिन सांकेतिक भाषाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने और सांकेतिक भाषाओं की स्थिति को मजबूत करने के लिये है। इस बात पर भी सरकार एवं पुनर्वास व्यवसायी को विचार करना चाहिए कि कैसे हम में से प्रत्येक दुनिया भर में बहरे और सुनने वाले लोग जीवन के सभी क्षेत्र में सांकेतिक भाषाओं का उपयोग करने के हमारे अधिकार की मान्यता को बढ़ावा देने के लिए हाथ से हाथ मिलाकर काम कर सकते हैं।
अजीत कुमार गुप्ता
प्रवक्ता (श्र. बा.)
श्री महादेव जी रामाधार दिव्यांग शिक्षण प्रशिक्षण केन्द्र गाजीपुर
औढारी, उत्तर प्रदेश

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